पापड़दा इन दिनों सड़कों पर गायें चारे पानी के अभाव में भटक रही है। चरागाह भूमियों पर अतिक्रमण से इन्हे चरने की समस्या के साथ बैठने के लिए भी उपयुक्त स्थान नहीं है। अब अधिकांश जगहों पर गायें श्मशानघाटों व बाजारों में बैठती है। जबकि इनके नाम की उपखंड की हर ग्राम पंचायत में चरागाह भूमि है। लेकिन उच्च स्तरीय सरकारी उदासीनता के चलते प्रशासन इन्हें हक दिलाने में नाकाम साबित हो रहा है। अधिकांश किसानों के मजबूत तारबंदी होने से पापड़दा से छारेड़ा रोड, आलूदा से छारेडा, पापड़दा से दौसा मार्ग, पापड़दा से श्यालावास, हापावास से बालावास जौंण, बैजवाड़ी से छारेड़ा, पपलाज माता मार्ग व अरावली पहाड़ों की तलहटी के गांवों में आदि जगहों पर गायों के झुंड रातभर भटकते रहते हैं। 5 फीसदी लोग ही चरागाह भूमि पर अतिक्रमण किए हुए हैं। 95 फीसदी इसे खाली करवाने के पक्ष में हैं। प्रशासन शिकायत पर भी कार्यवाही नहीं कर रहा।
दो वर्ष पहले पापड़दा, छारेड़ा, धरणवास, श्यालावास, थूमडी, लाहड़ीवाला पपलाज माता घाटी सहित उपखंड में लोगों ने गायों को एकत्र कर जगह, जगह इनके चारे पानी ही नहीं इन्हे गर्म बाजरा उबालकर व गुड़ में बनाकर खिलाया था। शहरी लोगों ने गाजर मूली व अनेक तरह के खाद्यान्न की व्यवस्था की थी। हालांकि गत वर्ष चारे के दाम अधिक होने से किसान भामाशाह व आम लोग भी मदद नहीं कर पाए।
गौरतलब है कि नांगलराजावतान उपखंड में 19 ग्राम पंचायतें है। और एक ग्राम पंचायत में औसतन 400 से 700गाय भटकती रहती है। छारेड़ा सरपंच पूजा मीणा, हरिकिशन मीणा, पंचायत समिति सदस्य राकेश बोहरा, रामकिशोर मीणा, श्यालावास के हरकेश मीणा ने बताया कि यदि ग्राम पंचायत, उपखंड स्तरीय अधिकारी, प्रशासन व आम जनता सभी मिलकर पहल करें तो गांव, शहर, कस्बों में गायों।
मूल ऑनलाइन लेख - https://www.bhaskar.com/local/rajasthan/dausa/news/encroachment-of-pastures-cows-distraught-with-hunger-are-wandering-on-the-roads-fear-of-accidents-130657871.html
No comments:
Post a Comment