Saturday, 9 April 2022

चारागाह को मैरिज गार्डन के रूप में करें विकसित:बंजर व चारागाह भूमि विकास समिति की बैठक, भूमि विकास के लिए आए अनूठे सुझाव

झुुंझुनूं

जिला ​परिषद में आज जिला स्तरीय बंजर व चारागाह भूमि विकास समिति की बैठक हुई। जिला प्रमुख हर्षिनी कुलहरि ने अध्यक्षता की। जिसमें गांवों में स्थित चारागाह भूमि के विकास को लेकर चर्चा की गई। बैठक में प्रधान संघ के प्रदेश अध्यक्ष व नवलगढ़ प्रधान दिनेश सुंडा ने इसके लिए काफी महत्वपूर्ण सुझाव दिए।

उन्होंने कहा कि बिना ग्रामीणों के सहयोग के किसी भी गांव में चारागाह जमीन का विकास नहीं हो सकेगा। इसलिए गांव स्तर पर समितियां बनाई जाएं और उनमें गांव के युवा विकास मंडलों को भी जोड़ा जाए। इसके बाद इन जमीनों का कई तरह से विकास किया जा सकता है। नरेगा की पंचफल योजना से जोड़कर हम इसमें फल लगा सकते हैं। खेल ग्राउंड तैयार कर सकते हैं। या फिर ग्रामीणों का सहयोग मिले तो गांवों में मैरिज गार्डन भी विकसित किया जा सकता है।

इस मौके पर जिला प्रमुख हर्षिनी कुलहरि ने कहा कि हमारा लक्ष्य है कि सबसे पहले जो चारागाह जमीनें अतिक्रमण से मुक्त है। उनका विकास करें। ताकि उन्हें भविष्य में होने वाले अतिक्रमणों से बचाया जा सके। इसके बाद जिन जमीनों पर अतिक्रमण हो रखा है। उन्हें अतिक्रमण मुक्त किया जा सके। उन्होंने बताया कि आज सभी प्रधानों, बीडीओ की मौजूदगी में यह दूसरी बैठक हुई है। हम लगातार ऐसी जमीनों को चिह्नित कर उनके विकास के लिए अलग-अलग प्लानिंग तैयार कर रहे हैं। आने वाले समय में ये चारागाह भूमि ​गांव के विकास और खासकर पर्यावरण संरक्षण की दिशा में मील का पत्थर साबित होंगी।

जिला परिषद सीईओ जवाहर चौधरी ने बताया कि सभी 11 पंचायत समितियों की 337 ग्राम पंचायतों से हमें चारागाह जमीनों के बारे में जानकारी आ गई है। हमारा लक्ष्य है कि मानसून से पहले मनरेगा के तहत इन जमीनों के विकास का प्लान तैयार कर लिया जाए। ताकि इनका विकास हो सके। बैठक में झुंझुनूं प्रधान पुष्पा चाहर, बुहाना प्रधान हरिकृष्ण यादव, अलसीसर प्रधान घासीराम पूनियां, डीएफओ आरके हुड्डा, केवीके के डॉ. दयानंदसिंह समेत कई एनजीओ के प्रतिनिधि भी मौजूद थे।


https://www.bhaskar.com/local/rajasthan/sikar/jhunjhunu/news/barren-and-pasture-land-development-committee-meeting-unique-suggestions-for-land-development-129630542.html

1 comment:

  1. इन जमीनों के उद्धार के लिए सोचना अच्छी बात हैl किंतु इसमें किसी भी प्रकार का विकास करने से पूर्व पारिस्थितिकी तंत्र को पूर्णतया ध्यान में रखते हुए करना चाहिए l इन जमीनों का उपयोग सिर्फ और सिर्फ पारिस्थितिकी तंत्र को बेहतर बनाने के लिए ही किया जाना चाहिए अन्य प्रकार के उपयोग से स्थिति भयावह हो सकती हैl

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