राजस्थान हाईकोर्ट ने पाली जिले के रोहट तहसील के नौ गांवों में स्थित गोचर भूमि को जोधपुर-पाली-मारवाड़ औद्योगिक क्षेत्र घोषित करने को चुनौती देने वाली जनहित याचिका को खारिज करते हुए महत्वपूर्ण विधिक बिंदुओं को निर्णित किया है।
जोधपुर। राजस्थान हाईकोर्ट ने पाली जिले के रोहट तहसील के नौ गांवों में स्थित गोचर भूमि को जोधपुर-पाली-मारवाड़ औद्योगिक क्षेत्र घोषित करने को चुनौती देने वाली जनहित याचिका को खारिज करते हुए महत्वपूर्ण विधिक बिंदुओं को निर्णित किया है।
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश एमएम श्रीवास्तव तथा न्यायाधीश रेखा बोराणा की खंडपीठ में याचिकाकर्ता पापापुरी सहित अन्य की ओर से पाली जिले के नौ गांवों में चारागाह, ओरण तथा आगोर के रूप में वर्गीकृत भूमि को अन्य उपयोग के लिए विभाजित करने का मामला उठाया गया था। नौ गांवों की सार्वजनिक भूमि को पाली जिला कलक्टर ने जोधपुर-पाली-मारवाड़ औद्योगिक क्षेत्र घोषित किया था। याचिका के अनुसार उद्योग विभाग के प्रमुख शासन सचिव ने 12 अक्टूबर, 2020 को पाली जिले की रोहट तहसील के नौ गांव डूंगरपुर, सिणगारी, ढूंढली, दूदली, निम्बली पटेलान, निम्बली ब्राह्मनान, दानासनी, रोहट तथा दलपतगढ़ को सम्मिलित कर विशेष निवेश रीजन घोषित किया था, जिसे जोधपुर पाली मारवाड़ औद्योगिक क्षेत्र नामित किया गया। इस रीजन के लिए रीको को क्षेत्रीय विकास प्राधिकरण के रूप में पदाभिहित करते हुए जोधपुर-पाली-मारवाड़ इंडस्ट्रियल डवलपमेंट कॉरपोरेशन का गठन किया गया। याचिका में जिला कलक्टर, पाली के 16 दिसंबर 2020 के एक आदेश को चुनौती दी गई थी, जिसमें नौ गांवों में स्थित समस्त राजकीय भूमि का नामांतरकरण डवलपमेंट कॉरपोरेशन के पक्ष में करने के आदेश जारी किए गए थे। इन गांवों में स्थित गोचर भूमि भी डवलपमेंट कॉरपोरेशन के पक्ष में दर्ज कर दी गई। इसे मुख्य रूप से इस आधार पर चुनौती दी गई थी कि गोचर भूमि ग्राम पंचायतों में निहित हो चुकी थी।
कोर्ट ने ये कहा-चरागाह भूमि चाहे पंचायतों के नियंत्रण या प्रबंधन में रही हो, महज इस आधार पर यह नहीं कहा जा सकता है कि चरागाह भूमि सामान्य भूमि के रूप में 1953 के निरस्त अधिनियम की धारा 88 के तहत स्वतः पंचायतों में निहित हो गई है।
चरागाह भूमि न तो 1956 के अधिनियम के प्रावधानों के तहत स्वतः पंचायतों में निहित थी और न ही 1955 का अधिनियम या 1953 का निरस्त अधिनियम या संबंधित अधिनियम के तहत बनाए गए किसी भी नियम के तहत स्वतः पंचायतों में निहित है।
-राजस्थान विशेष निवेश क्षेत्र अधिनियम, 2016 के लागू होने की तारीख तक, तहसील रोहट, के नौ राजस्व गांवों-ग्राम पंचायतों के स्थानीय क्षेत्र में स्थित चरागाह भूमि कभी भी संबंधित ग्राम पंचायत में निहित नहीं थी। इसलिए इसे अधिनियम की धारा 27 के तहत निहित खंड के दायरे से बाहर नहीं रखा जा सकता। याचिकाकर्ताओं का तर्क है कि चूंकि सभी चरागाह भूमि पहले से ही ग्राम पंचायतों में निहित थी और इसलिए, उन्हें विशेष निवेश क्षेत्र से बाहर रखा जाए, खारिज किया जाता है।
मूल ऑनलाइन लेख - https://www.patrika.com/jodhpur-news/pasture-land-not-automatically-vested-in-gram-panchayats-8206501