राजस्थान में करीब पांच महीने पहले जब भजनलाल सरकार सत्ता में आई तो अवैध खनन पर बड़ा चाबुक चलाते हुए रोकने के आदेश जारी किए। लेकिन जिम्मेदारों को यह भी पता था कि राज बदला है, रिवाज नहीं। इसलिए सीएम के आदेशों को ठेंगा दिखाते हुए हवा-हवाई कर दिया।
दौसा जिले में हजारों बीघा बेशकीमती सरकारी चारागाह भूमि पर जिम्मेदारों की मिलीभगत और अनदेखी के चलते अतिक्रमण हो चुका है। जिम्मेदारों ने इसकी एवज में महज एक कागजी खानापूर्ति कार्रवाई करते हुए उसको हटाने के प्रयास के नाम पर उच्च अधिकारियों को हमेशा अंधेरे में रखा।
नांगल उपखंड के अंतर्गत आलूदा ग्राम पंचायत में सैकड़ों बीघा चारागाह भूमि अवैध रूप से अतिक्रमणकर्ताओं की भेंट चढ़ चुकी है। अब उसमें से निरंतर मिट्टी का अवैध खनन किया जा रहा है, जो बिल्कुल निचले स्तर के जिम्मेदारों की सीधी मिलीभगत के बिना संभव नहीं हो सकता है। आलूदा ग्राम पंचायत के ग्राम आलूदा से छारेड़ा और लाहडी का बास की तरफ जाने वाली सड़कों के बीच में स्थित सैकड़ों बीघा चारागाह भूमि है, जो गायों और अन्य जानवरों के चरने के काम आती रही है। लेकिन पिछले दिनों से निचले जिम्मेदारों के द्वारा जेब भरते हुए सरकार के मंसूबे पर निरंतर पानी फेरा जा रहा है।
इधर, बाग की ढाणी और ढाणी नागोरी में अवैध रूप से काफी मिट्टी का अवैध कारोबार किया जा रहा है। मजेदार बात यह है कि जब ग्रामीणों के द्वारा इसकी शिकायत होती है तो संबंधित जिम्मेदार अधिकारी उस शिकायत के पुलंदों को ही अवैध खननकर्ताओं तक पहुंच कर थोड़ी कार्रवाई करने का दम भर रहे हैं, जिसके चलते अब सरकार की किरकिरी भी ये जिम्मेदार कर रहे हैं।
बताया जा रहा है कि करीब पांच महीने पहले जब भजनलाल सरकार सत्ता में आ रही थी, तब भी यह अवैध खनन जोरों पर था। ग्रामीणों की शिकायत पर संबंधित तहसीलदार ने सारा भेद खोलते हुए सिर्फ अपनी जेब भरने के लिए उपस्थिति तो दर्ज कराई, लेकिन उस पर क्या कार्रवाई की गई, यह कागजों में ही दफन हो चुका है। जबकि यहां के तहसीलदार सोहनलाल मीणा के पास में वर्तमान में नांगल राजावतान, लवाण और पापडदा तहसील का चार्ज चल रहा है। फिर ऐसी स्थिति में अवैध खनन की बात करना बेमानी भी साबित हो जाती है। खैर यह सब सरकारों का काम है, किसको कैसे और कहां प्रतिस्थापन करना है।
अब तो दिन में ही सड़कों पर मिट्टी बजरी और पत्थरों की ट्रालियों दिखने को मिलना आम बात हो गई है। इसमें मजे की बात तो यह है कि इसी बीच सरकार की बेशकीमती चारागाह भूमि पर भी लगातार अतिक्रमण भी बढ़ गए। उधर, जनता के साथ जीरो टॉलरेंस नीति की बातें करके अस्तित्व में आते ही राजस्थान की भजनलाल सरकार ने सबसे पहले राजस्थान में बेरोकटोक चल रहे अवैध खनन कारोबार की कमर तोड़ने के आदेश जारी करते हुए अवैध खान को पूरी तरह प्रतिबंधित किया था।
अवैध खनन को रोकने के लिए प्रदेश और जिला स्तर पर विभिन्न तरह की विभागों को सम्मिलित करते हुए एसआईटी का गठन किया हुआ था, जिसका मकसद संयुक्त कार्रवाई करना था। लेकिन सरकार के दिशा-निर्देशों को ठेंगा दिखाते हुए कुछ सरकारी नुमाइंदे ऐसे भी हैं, जो खुद ही अवैध खनन माफिया के साथ कंधे से कंधा मिलाने लग गए। इससे अवैध खनन बेरोकटोक होने लगा है, जिसमें मजे की बात तो यह है कि सरकार की बेशकीमती चारागाह भूमि पर भी इसी बीच लगातार अतिक्रमण भी बढ़ गया।
मूल ऑनलाइन लेख - https://www.amarujala.com/rajasthan/dausa/rajasthan-illegal-mining-business-is-increasing-in-dausa-with-connivance-of-responsible-people-2024-05-30
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