झालरापाटन का रियासत कालीन तालाब मूंडलिया खेड़ी तालाब पूरी तरह से सूख गया है। रियासत काल में इस तालाब का निर्माण नगर को जलापूर्ति के साथ ही जानवरों को पेयजल उपलब्ध कराने, भूमिगत जल स्तर को सुधारने के कराया गया था।
कुछ साल पहले तक वर्ष पर्यंत यह तालाब जल से लबालब रहता था और हजारों लोगों को पानी की समस्या से दूर रखता था, लेकिन पिछले कुछ सालों से यहां हो रहे अतिक्रमण और अवैध जल दोहन से अब यह तालाब गर्मी की शुरुआत में ही सूख जाता है। पहले तो मुंह दिखाई के लिए प्रशासन की ओर से अवैध जल दोहन को रोकने के लिए कई बार कार्रवाई भी की जाती थी, लेकिन कई सालों से क्षेत्र में अवैध जल दोहन करने वालों पर कोई कार्यवाही नहीं होने के कारण इनके हौसले बुलंद है।
इतना ही नहीं तालाब में अतिक्रमण करने की होड़ मची हुई है। तालाब के आसपास की कई बीघा जमीन पर लोग अवैध खेती करते हैं। इसके लिए वे तालाब से ही पानी लेते हैं। नतीजा यह है कि तालाब में अब पानी कुछ गड्ढों में ही बाकी बचा है।
खुदाई की है दरकार
16 फीट भराव क्षमता वाले इस तालाब में आधी से अधिक गहराई तक मिट्टी भर गई है। जिसके कारण पानी के भराव की क्षमता कम हो गई है। तालाब की जमीन पर आसपास के लोग अतिक्रमण कर खेती कर रहे हैं। जिससे इसका पेटा भी कम हो गया है।
इन दिनों झालरापाटन की चंद्रभागा नदी के जीर्णोद्धार कार्य की योजना बनाई जा रही है अगर इसके साथ ही चंद्रभागा के उद्गम स्थल इस तालाब की खुदाई कराई जाना भी जरूरी है। अभी यह तालाब पूरी तरह से खाली हो चुका है। यदि प्रशासन चाहे तो किसानों को अपने संसाधन से मिट्टी खोदकर ले जाने की इजाजत देकर बिना किसी खर्चे के भी तालाब की खुदाई करवा सकता है।
अतिक्रमण कारियों के खिलाफ होगी कार्रवाई
झालरापाटन के तहसीलदार राजेंद्र कुमार मीणा का कहना है कि मुंडलिया खेड़ी तालाब की जमीन पर अतिक्रमण करने वालों को नोटिस जारी किए गए हैं। इसकी पैमाइश भी करवाई जाएगी।
मूल ऑनलाइन लेख - https://www.bhaskar.com/local/rajasthan/jhalawar/jhalrapatan/news/filling-capacity-reduced-due-to-encroachment-now-the-administration-will-get-the-metering-done-129957794.html
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