Friday 11 October 2024

एरोड्रम की जगह को कंटेनर डिपो के लिए निजी कंपनी को देने का विरोध, ग्रामीण बोले-यहां चरागाह, जल भराव क्षेत्र है



ग्रामीण बोले- मिलकर लड़ेंगे कानूनी लड़ाई

बधाल क्षेत्र के एरोड्रम की 180 बीघा जमीन को एक निजी लॉजिस्टिक्स कंपनी को देने के प्रस्ताव को लेकर ग्रामीणों ने विरोध जताया है। बधाल से इटावा मुख्य मार्ग के समीप बिजली निगम ग्रिड स्टेशन के पीछे एरोड्रम की सरकारी जमीन को एक लॉजिस्टिक्स कंपनी को कंटेनर डिपो के लिए लीज पर देने के प्रस्तावित मामले को लेकर ग्रामीण लामबंद हुए है।

इसके लिए बधाल पंचायत में कोरम की आपातकालीन बैठक हुई, जिसमें सर्वसम्मति से इस भूमि के आवंटन की प्रक्रिया को लेकर असहमति जताई गई। साथ ही और संभागीय आयुक्त और कलक्टर से शिकायत की गई है।

विरोध की ये मुख्य वजह संबंधित जिस भूमि पर कंटेनर डिपो बनना प्रस्तावित है उसकी आधे से अधिक भूमि पर हजारों खेजड़ी पेड़ हैं। इसके अलावा यह स्थान पशुओं के लिए विकसित चारागाह भी है। इस भूमि पर अकाल राहत कार्यों के तहत 3 दशक पूर्व कच्चे बांध का भी निर्माण किया गया था जो आज भी जल भराव क्षेत्र है।

यह एरोड्रम की जगह है, जहां आजादी से पहले हवाई जहाज उतरते थे। सन 2000 में तत्कालीन सांसद टोंक श्यामलाल बंसीवाल (तब यह क्षेत्र टोंक संसदीय क्षेत्र में आता था) ने यहां हवाई अड्डा बनाने के संबंध में प्रयास भी किए थे। जो जयपुर सांगानेर एयरपोर्ट के नजदीक होने से नही बन पाया। ग्रामीणों ने बताया कि खाटूश्याम से 15 किमी दूर बधाल कस्बे में एरोड्रम की चिन्हित जमीन रहेगी तो भविष्य में हवाई अड्डा बनने की संभावना भी रहेगी।

भूमि पर जेजेएम के तहत बोरिंग करवाए गए है, जिनसे पेयजल आपूर्ति होनी है। पूर्व में भी इस क्षेत्र में कुएं बने हैं जो क्षेत्रवासियों की प्यास बुझाते आए हैं।

प्राइवेट फ्रंट टर्मिनल के लिए बधाल और इटावा पंचायत सीमा में 45 हैक्टेयर भूमि देना प्रस्तावित है। अंतर्देशीय कंटेनर डिपो सह निजी माल टर्मिनल की स्थापना के लिए निजी कंपनी की ओर से बधाल क्षेत्र में हवाई अड्डा के लिए भूमि आवंटन की मांग रखी गई है, जिसमे अधिकांश हिस्से में खेजड़ी के हजारों पेड़ व कच्चा बांध भी बना है।

मिलीभगत कर लाभ पहुंचाने का आरोप लगा रहे ग्रामीण

इधर, ग्रामीणों का कहना है कि संबंधित उच्चाधिकारियों से मिलीभगत कर निजी लॉजिस्टिक्स कंपनी गांव की बेशकीमती और गौरवपूर्ण जमीन पर कब्जा जमा रही है। इसके अलावा एक कंटेनर डिपो के लिए हजारों पेड़ों और ऐतिहासिक भूमि की बलि देना कतई मंजूर नहीं है। इसका ग्रामीण विरोध कर रहे हैं अगर जल्द ही उनकी मांग नहीं मांगी गई तो आंदोलन होगा।

ग्रामीणों ने बताया कि इस भूमि के कंटेनर डिपो के लिए लीज पर निजी कंपनियों के हाथों में देने के विरोध में स्थानीय ग्रामीणों के साथ आस-पास के गांवों के जनप्रतिनिधि भी समर्थन में आ गए हैं। इसके लिए कानूनी रूप से भी कार्रवाई ग्रामीणों द्वारा मिलकर की जाएगी। बड़ा जन आंदोलन किया जाएगा। इसके लिए आसपास के 10 ग्राम पंचायतों के सरपंच, पंचायत समिति सदस्यों और वार्ड पंचों ने आवंटन प्रक्रिया के विरोध में संभागीय आयुक्त और जिला कलेक्टर को पत्र लिखा है।

मूल ऑनलाइन लेख - https://www.bhaskar.com/local/rajasthan/jaipur/chomu/news/opposition-to-give-the-place-of-aerodrome-to-private-company-for-container-depot-villagers-said-here-is-pasture-waterlogged-area-131656164.html

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