Monday, 5 August 2024

जयसमंद के बहाव क्षेत्र की चारागाह भूमि को हरियाली का इंतजार, आंखें मूंद रहे जिम्मेदार

मनरेगा में 9 लाख 96 हजार रुपए की लागत से विकास कार्य सहित किया जाना था पौधरोपण। स्वीकृति के एक माह बाद भी नहीं हुआ काम शुरू।

मालाखेड़ा। जयसमंद बांध के बहाव क्षेत्र की चारागाह जमीन पर हरियाली नजर नहीं आ रही है। इस जमीन पर राजस्व विभाग ने अभी तक निशान देही नहीं कराई, जिसके चलते मनरेगा योजना के तहत 9 लाख 96 हजार रुपए से अधिक की लागत से चारागाह विकास एवं पौधारोपण कार्य एक महीने से अटका हुआ है।

सूत्रों के अनुसार महात्मा गांधी रोजगार गारंटी योजना के तहत पंचायत समिति उमरैण के सहायक अभियंता ने केसरपुर पंचायत मुख्यालय में चारागाह विकास एवं पौधरोपण विकास कार्य का प्रस्ताव जिला परिषद को भेजा था। जहां पंचायत समिति के सहायक अभियंता ने जिला परिषद से स्वीकृति मिलने के साथ ही 2 जुलाई को 9 लाख 96 हजार राशि चारागाह विकास एवं पौधरोपण के लिए स्वीकृत की गई। इस स्वीकृति के अनुसार मौके पर 2000 गड्ढे़ खोदकर पौधरोपण का लक्ष्य निर्धारित किया गया, लेकिन एक महीना गुजरने के बाद भी अभी मौके पर कार्य शुरू नहीं हुआ है।

जमीन पर अतिक्रमण

सरपंच नुसरत ने बताया उक्त सरकारी जमीन पर अतिक्रमण है। जहां राजस्व विभाग को पत्र लिखा है, लेकिन अभी तक पैमाइश और निशान देही नहीं हुई। आरोप है कि अलवर ग्रामीण विधानसभा क्षेत्र की ग्राम पंचायत केसरपुर क्षेत्र में जयसमंद बांध के बहाव क्षेत्र की चारागाह भूमि पर निशान देही तथा सीमाज्ञान राजस्व विभाग की ओर से नहीं कराने से एक महीने से 9 लाख 96 हजार के फेंसिंग, पौधरोपण का कार्य अटका हुआ है। अलवर तहसील के भू अभिलेख निरीक्षक मंडल भूगोर के पटवार मंडल केसरपुर के पास 10 हैक्टेयर भूमि है, जिसमें पैमाइश कर दी जाए तो शेष तरह का भूमि पर ग्राम पंचायत केसरपुर की ओर से 3 वर्षीय चारागाह पौधरोपण विकास कार्य को सार्वजनिक हित के लिए शुरू किया जा सकता है। विशेष सूत्रों के मुताबिक राजस्व विभाग के एक कथित कर्मचारी की मिलीभगत और उदासीनता से अभी तक चारागाह भूमि की पैमाइश नहीं हो पा रही है। इस गांव के लोगों का कहना है क्षेत्र हरा-भरा बना रहे, इसके लिए चारागाह भूमि से दबंग लोगों का अतिक्रमण हटाना जरूरी है।

भूमि की पैमाइश के बाद ही कार्य संभव

मनरेगा अ​भियंता गोविंदसिंह का कहना है कि तीन वर्षीय चारागाह विकास एवं पौधरोपण की कार्य योजना है। यहां 2000 पौधे लगाने का लक्ष्य है। इससे पहले पौधों की सुरक्षा के लिए तारबंदी, फेंसिंग जरूरी है, लेकिन इस सरकारी भूमि पर कई जगह लोगों ने अतिक्रमण कर रखा है, जिसके चलते तारबंदी, फेंसिंग नहीं हो पा रही। यह कार्य चारागाह भूमि की पैमाइश के पश्चात ही संभव होगा। इसके लिए तहसीलदार अलवर को काफी समय पहले ही पत्र प्रेषित किया जा चुका है।

मूल ऑनलाइन लेख - https://www.patrika.com/news-bulletin/the-pasture-land-of-the-jaisamand-river-is-waiting-for-greenery-the-responsible-people-are-turning-a-blind-eye-18890495

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