Friday 19 January 2024

आखिर ग्रामीणों की जीत, चारागाह भूमि से काटे जाने वाले रास्ते का आदेश निरस्त

- ग्रामीणों का एक दल भारत जोड़ो यात्रा में राहुल गांधी से मिला फिर हुआ असर

- डाबला गांव के ग्रामीण शुरू से थे चारागाह भूमि से रास्ता काटने के विरोध में

- ग्रामीणों का आरोप आम रास्ते की बजाए खननकर्ताओं को मिल रहा था फायदा

- अवैध माईनिंग व भारी ब्लास्टिंग से चर्चा में है डाबला गांव

नीमकाथाना. अवैध खनन और भारी ब्लास्टिंग के कारण डाबला गांव चर्चा में रहा है। यहां खननकर्ताओं को फायदा पहुंचाने के लिए चारागाह भूमि से काटे जाने वाले रास्ते के विरोध में उतरे ग्रामीणों की 2011 के बाद फिर 2023 में आखिरकार जीत हुई है। मामले को लेकर ग्रामीणों का एक दल भारत जोड़ो यात्रा के दौरान अलवर में राहुल गांधी से मिला था। ग्रामीणों को इसी का फायदा मिला। ग्राम पंचायत के अनापत्ति प्रमाण पत्र के अभाव में जिला कलक्टर ने आदेश को निरस्त कर दिया है। गौरतलब है कि कुछ दिन पहले डाबला में सार्वजनिक रास्ता निकालने के लिए आरक्षित (सेट अपार्ट) एवं इसकी क्षतिपूर्ति के लिए गांव में ही बंजर भूमि से चारागाह दर्ज किए जाने के प्रस्ताव भेजकर अभिशंषा की गई थी। साथ ही रास्ते को सार्वजनिक प्रयोजनार्थ सेट अपार्ट करना नितांत्त आवश्यक बताया गया था। प्रशासन ने रकबा 0.82 हैक्टेयर भूमि चारागाह से पृथक कर 30 फीट चौड़े रास्ते के लिए आरक्षित (सेट अपार्ट) किया। वहीं चारागाह भूमि की क्षतिपूर्ति के लिए खसरा नंबर 1740/2 रकबा 2.17 हैक्टेयर किस्म बजंड में से 0.82 हैक्टेयर किस्म बंजर को चारागाह घोषित करने के आदेश जारी किए गए थे। डाबला इलाके में बड़ी मात्रा में खनिज संपदा का भंडार होने से वर्ष 2011 में भी माफिया ने क्रेशर व खनन शुरू करने के दौरान प्रशासन ने परिवहन के लिए चारागाह भूमि से रास्ता काटने के आदेश जारी किए थे, जिसका ग्रामीणों के जमकर आंदोलन करने पर तत्कालीन जिला कलक्टर धर्मेन्द्र भटनागर को काटे गए रास्ते के आदेश को निरस्त करना पड़ा था। इसके बाद आंदोनल शांत हुआ था।

एसडीएम कार्यालय के बाहर चला था धरना

वर्ष 2011 में रास्ता काटने पर ग्रामीणों ने उपखंड कार्यालय के सामने कई दिनों तक धरना प्रदर्शन व अनशन किया था। उस दौरान कई अनशनकारियों की तबियत भी बिगड़ गई थी। अनशनकारियों के समर्थन में महिलाओं के उतरने के बाद आंदोलन ओर तेज हुआ। अंत में प्रशासन ने चारागाह भूमि से रास्ता काटने का फैसला वापस लिया।

मूल ऑनलाइन लेख - https://www.patrika.com/sikar-news/order-to-cut-the-road-from-pasture-land-canceled-7990654

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