पिछले माह राजस्थान हाईकोर्ट ने मास्टर प्लान की पालना के साथ गोचर भूमि का ब्योरा पेश करने की सख्ती की तो सामने आया कि 18 शहरों की ही ढाई लाख हैक्टेयर चारागाह जमीनों पर अवैध रूप से कॉलोनियां बस चुकी है।
शहरी सीमा में आए गांवों की गोचर भूमि पर सैकड़ों की तादाद में कॉलोनियां बस गई। शहरी निकायों ने कागजों में जमीन अपने क्षेत्र में शामिल कर दी, लेकिन उन जमीनों पर लोग अवैध रूप से बसते गए। रेवेन्यू और यूडीएच द्वारा शहरी क्षेत्रों की गोचर भूमि के संकलित किए गए डेटा के अनुसार 1962 से 80 तक शहरी सीमा में करीब ढाई से तीन लाख हैक्टेयर जमीन चारागाह किस्म की थी। लेकिन आज एक भी शहर में 100 हैक्टेयर चारागाह भूमि भी सरकार के कब्जे में या खाली नहीं है। पड़ताल की तो सामने आया कि जेडीए जयपुर, जोधपुर और अजमेर ने पिछले 15 साल में मास्टर प्लान में 800 और गांवों की जमीन प्राधिकरण रीजन में शामिल की, लेकिन इन गांवों की भी चारागाह भूमि संरक्षित नहीं रखी जा सकी। हाईकोर्ट द्वारा गत माह मास्टर प्लान की पालना के साथ 62 साल का गोचर भूमि का जिलेवार ब्योरा मांगने से रेवेन्यू और यूडीएच की सांसें फूल रही हैं। हाईकोर्ट ने इतना ही नहीं गोचर भूमि पर हुए अवैध कब्जों का ब्योरा भी मांगा है। यूडीएच अब राजस्व विभाग को पत्र भेजकर फिर से सभी जिला कलेक्टरों से शहरी सीमा की गोचर भूमि और अवैध कब्जों का ब्योरा मांगने की तैयारी कर रहा है।
क्या कहा था कोर्ट ने आदेश में
हाईकोर्टने वर्ष 1955 से अब तक करीब 62 साल पुराना पूरे प्रदेश के गोचर भूमि का जिला वार रिकॉर्ड तलब किया है। साथ कोर्ट ने यह जानकारी भी मांगी है कि गोचर भूमि पर कितने लोग अनधिकृत रूप से कब्जा करके बैठे हैं। कोर्ट ने राज्य सरकार को प्रदेश के विभिन्न जिलों में गोचर भूमि पर अनधिकृत कब्जों की जांच तथा इनके खिलाफ आवश्यक कार्रवाई कर इन्हें हटाने के लिए भी कहा था।
मूल ऑनलाइन लेख - https://www.bhaskar.com/rajasthan/jodhpur/news/raj-jod-hmu-mat-latest-jodhpur-news-050009-1921753-nor.html
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