Saturday, 6 August 2022

कोरोना जैसा कहर:बाड़मेर-जैसलमेर में 2 माह में 10 हजार गोवंश की मौत, 80 हजार बीमार, विभाग चेता न सरकार

 जैसलमेर

लेखक: पूनमसिंह राठौड़

दावों की पोल खोलती तस्वीर- ये तस्वीर शिव तहसील के बलाई गांव की है। जहां पर लंपी स्किन से मरी गायों के शवों के लगे ढेर।

भारत-पाक बॉर्डर से सटे बाड़मेर व जैसलमेर में लंपी स्किन डिजीज गोवंश पर कहर बरपा रही है। दो माह में दो जिलों में 10 हजार गोवंश दम तोड़ चुकी है। वहीं करीब अस्सी हजार गोवंश मौत से जूझ रही है। चौंकाने वाली बात यह है कि लंपी स्किन बीमारी के वायरस ने पाक के रास्ते सरहदी गांवों में दस्तक दी। इस वजह से सर्वाधिक गोवंश की मौतें बॉर्डर इलाके के गांवों में हुई है। बाड़मेर में 9.50 लाख व जैसलमेर में 5 लाख गोवंश है। पशुपालन विभाग अब तक दोनों जिलों में दो हजार गायों की मौत का दावा कर रहा है।

भास्कर टीम ने चार दिन में बाड़मेर व जैसलमेर के करीब 50 गांवों में लंकी स्किन से गायों की मौतों को लेकर जनप्रतिनिधियों, ग्रामीणों व सामाजिक कार्यकर्ताओं के माध्यम से आंकड़े जुटाए। इसमें मौतों का आकड़ा दस हजार पार है। रोजाना औसत सौ से डेढ़ सौ गायों की लंकी स्किन से मौत हो रही है। इधर, पशुपालन विभाग की टीमें सर्वे करने के साथ कागजों में इलाज का दावा कर रही है। जबकि हकीकत में 90 फीसदी बीमार पशुओं की जांच नहीं हो पाई है। इस स्थिति में गोवंश के लंपी स्किन से मरने का सिलसिला थमने का नाम ही नहीं ले रहा है। सरकारी इंतजाम धरातल पर नजर नहीं आ रहे हैं। पशुपालक ही अपने स्तर पर गोवंश को बचाने के लिए दिन रात मेहनत कर रहे हैं।

लापरवाही- विभाग में 50% पद खाली, वाहन न दवाइयां

बाड़मेर व जैसलमेर पशुपालन विभाग में पचास फीसदी कार्मिकों के पद लंबे समय से खाली है। इतना ही नहीं विभाग के पास खुद का एक या दो वाहन ही है। दो माह पहले लंपी स्किन का संक्रमण बढ़ना शुरू हो गया, लेकिन विभाग के पास संसाधन ही उपलब्ध नहीं होने के कारण सर्वे भी पूरा नहीं हो पाया है। बीमारी फैलने के बाद सिरोही, जालोर व दौसा से डॉक्टर व कार्मिकों की टीमें भेजी। सिरोही व जालोर की टीमें तो वापस चली गई। पशुपालन विभाग के कार्मिक फील्ड में सर्वे के लिए दूसरे विभागों या सरपंचों से गाड़ियों का जुगाड़ कर पहुंच रहे हैं।

राहत- भामाशाह और जनप्रतिनिधि बने मददगार

जिले में महामारी का रूप ले चुकी लंपी स्किन डिजीज से गोवंश की अकाल मौतों के बाद भामाशाह व जनप्रतिनिधि मददगार बन रहे हैं। पूर्व मंत्री व बायतु विधायक हरीश चौधरी, गो सेवा आयोग के अध्यक्ष मेवाराम जैन, पचपदरा विधायक मदन प्रजापत ने विधायक कोष से राशि उपलब्ध करवाने के साथ क्षेत्र के भामाशाहों व सरपंचों को मदद के लिए प्रेरित किया है। इतना ही नहीं कई सरपंच व जनप्रतिनिधि अपने स्तर पर सेवाएं उपलब्ध करवा रहे हैं।

इन चार गांवों के हालात से समझिए गोवंश की दास्तां

"पोछीना- दो माह में 500 गायों की मौत, धोरों पर कंकालों के ढेर जैसलमेर के भारत-पाक बॉर्डर पर आबाद पोछीना गांव में लंकी स्किन डिजीज से अब तक पांच सौ गायों की अकाल मौत हो चुकी है। पशु बाहुल्य गांव होने के लिहाज से संक्रमण तेजी के साथ फैल रहा है। विभाग की टीम ने एक बार सर्वे कर इतिश्री कर ली। इसके बाद इलाज नहीं मिलने से गोवंश के मरने का सिलसिला अनवरत जारी है। पशुपालक चैनसिंह सोढ़ा ने बताया कि धोरों पर गायों के कंकाल के ढेर लगे है।"

"सतो- इलाज नहीं, पशुपालक अपने स्तर पर कर वैक्सीनेशन जैसलमेर के सत्तो व वख्तावरसिंह की ढाणी में महामारी गायों पर कहर बरपा रही है। सामाजिक कार्यकर्ता शैतानसिंह रावलोत ने बताया कि वख्तावरसिंह की ढाणी में 80 गायें व बछड़े इस बीमारी से मर चुके हैं। सतो व आस-पास के गांवों में हर दूसरे घर में एक गाय बीमार है। दर्द निवारक टेबलेट व वैक्सीन लगाकर पशुपालक अपने स्तर पर पशुओं का इलाज करवा रहे हैं।"

"केलनोर- हर दूसरे घर में एक गाय की मौत, मृत पशुओं के लगे ढेर चौहटन के केलनोर गांव में लंकी स्किन की बीमारी ने डेढ़ माह पहले ही दस्तक दी थी। अब पूरे गांव में लंपी स्किन बीमारी फैल चुकी है। हर घर में गोवंश बीमारी की चपेट में है। ईश्वरसिंह ने बताया कि गांव से कुछ दूरी पर मृत पशुओं के कंकालों के ढेर लगे हैं। सरकारी स्तर पर पशुओं के इलाज की व्यवस्था नहीं है। इस स्थिति में बीमारी की चपेट में आने के चार या पांच दिन बाद गायों की मौत हो रही है।"

"बलाई- गोवंश की कब्रगाह बने धोरें, 15 दिन में डेढ़ सौ गायें मरी शिव की ग्राम पंचायत बलाई में लंकी स्किन ने करीब बीस दिन पहले ही दस्तक दी थी। मल्लीनाथनगर,बलाई, केशरपुरा समेत चार गांवों में बीमारी कहर बनकर टूट रही है। रिड़मलराम साटिया ने बताया कि रोजाना चार से पांच मृत गायों के शव उठा रहे हैं। उनकी ढाणी के पास करीब डेढ़ सौ से अधिक मृत गायों के कंकाल के ढेर लगे हैं। रात 12 बजे तक ट्रैक्टर के साथ चार-पांच लोग जुटने पर भी शव नहीं उठा पा रहे हैं।"

जैन ने कहा- हर हाल में गोवंश को बचाने के लिए प्रयासरत

"लंपी स्किन से गायों की मौतों के मामले को सरकार गंभीरता से ले रही है। पिछले पंद्रह दिन में कई टीमें पहुंच चुकी है। दवाइयां व अन्य संसाधन भी उपलब्ध करवा रहे हैं। भामाशाहों के सहयोग से दवाइयां व अन्य सुविधाएं जुटा रहे है। गोवंश को बचाने के लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं।"

-मेवाराम जैन, अध्यक्ष गौ सेवा आयोग।

https://www.bhaskar.com/local/rajasthan/jaisalmer/news/in-barmer-jaisalmer-10-thousand-cows-died-in-2-months-80-thousand-sick-the-government-did-not-warn-the-department-130152008.html?ref=inbound_More_News

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