सीकर/फतेहपुर. आज के ठीक 572 साल पहले हिसार के नवाब ''फतेह खाँ'' ने इस सुन्दर शहर फतेहपुर को बसाया था
सीकर
प्रियव्रत जोशी.
Fatehpur Shekhawati Foundation day. सीकर/फतेहपुर. आज के ठीक 572 साल पहले हिसार के नवाब ''फतेह खाँ'' ने इस सुन्दर शहर फतेहपुर को बसाया था....फतेहपुर में किला (गढ़) बनाया था....सुंदर व आक्रशित बावड़ी का निर्माण करवाया...गायों के लिए चारागाह की भूमि छोड़ी थी...इसके अलावा फतेहपुर का अतीत पर नजर डाले तो शहर में सुन्दर सुंदर हवेलियां.... छतरियां...... कुएं.....चौड़े-चौड़े रास्ते....नजर आते थे....लेकिन कुछ वर्षों पहले आई विकास और आधुनिकता की दौड़ ने "विरासत" को पीछे छोड़ दिया। इनकी दुर्दशा देखकर शायद इसका अतीत भी आंसू बहा रहा है।जयपुर से भी पहले बसी थी राजस्थान की ये रियासत, विकास की रफ्तार में आज पीछे छूटी विरासतें |
विरासत के बल बुते पर हमारे शहर को विश्व पटल पर पहचान मिली है....ओपन आर्ट गैलेरी के नाम से विश्व में जाना जाने लगा...यहां की हवेलियों पर भीति चित्रकारी...यहां की स्थापत्य कला...वाकई काबिले तारीफ है...हमारे पूर्वज और सेठ साहूकारों ने हवेलियों का निर्माण करवाया था लेकिन कमाने के लिए शहर छोड़ छोड़ कर चले गये थे....
आज यह सुन्दर शहर बदरंग हो गया...जो विरासत थी वो सिर्फ अतीत के झरोखों में से दिख रही है... आधुनिकता की दौड़ में विरासतें नष्ट होती चली गई....और जो कुछ थोड़ी बहुत बची है उसकी भी सुध लेने वाला कोई नहीं बचा.... कहते है की समय बड़ा बलवान होता है...इसलिए समय के साथ चलना चाहिए...लेकिन हम तो समय के साथ चलते रहे...लेकिन विरासतों को समय के साथ नहीं चला सके....उसी का नतीजा अब यह हो गया है की उनका इतिहास आज इतिहास के पन्नों में ही रह गया है....जिस विरासत से इस शहर की पहचान होती थी ...वो विरासत अब धूमिल हो गई....हवेलियां कॉम्पलेक्स बनाने के लिए नष्ट कर दी गई....सेठ साहूकारों द्वारा बनाये गए मंदिर,छतरियां,कुएं, बावड़ी यह सब भी समय के साथ जीर्ण शीर्ष अवस्था में चली गई... बावड़ी कचरा पात्र बन गई...जोहड़े व हवेलियां टूटने के कगार पर पहुच गई...आज इनकी हालत को देख कर मन खिन्न होता है...लेकिन आज भी शायद विरासत की सुध लेने का किसी के पास समय नहीं है...अगर यही हालात बने रहे तो आने वाली पीढ़ी को हम सिर्फ इतिहास देकर जायेंगे....
बात आती है सरकार की...सरकार ने शहर को हैरिटेज सिटी घोषित कर अपनी जिमेदारी का निर्वाहन कर दिया...न ही बजट दिया... जो बजट मिला वो भी किस कार्य में खर्च हुआ इसका हिसाब भी भगवान भरोसे है....जिस तरह से विरासत जीर्ण शीर्ष होती गई वैसे वैसे पर्यटको की संख्या में कमी आती गई...राज्य सरकार के ताजा आंकड़ो के हिसाब से इनकी संख्या आधी हो गई...
पर्यटकों का कम होने का कारण हमारी विरासत नहीं रही...अभी भी समय रहते हम नहीं चेते तो...हालात और भी बदतर हो जायेंगे... ऐसे में अब हर आदमी की अपनी विरासत समझ कर उसको बचने की जरुरत है...पिछले कुछ दिनों से विरासत बचाओ संगठन इसके लिए प्रयास भी कर रहा है...लेकिन आगे भी प्रयास जारी रखने पड़ेंगे।
पर्यटकों का कम होने का कारण हमारी विरासत नहीं रही...अभी भी समय रहते हम नहीं चेते तो...हालात और भी बदतर हो जायेंगे... ऐसे में अब हर आदमी की अपनी विरासत समझ कर उसको बचने की जरुरत है...पिछले कुछ दिनों से विरासत बचाओ संगठन इसके लिए प्रयास भी कर रहा है...लेकिन आगे भी प्रयास जारी रखने पड़ेंगे।
............इतिहास की बात करे तो संवत 1508 में फतेहपुर कस्बे की स्थापना हिसार के राजा फतेह खां ने की थी। करीब 572 वर्ष तक फतेहपुर पर राजाओं का शासन रहा। इसमें से 279 वर्ष मुगलों ने तथा 216 वर्ष तक शेखावतों ने शासन किया। फतेहपुर के अंतिम राजा कल्याण सिंह थे।
https://www.patrika.com/sikar-news/fatehpur-princely-state-was-settled-even-before-jaipu-7447483/
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