बड़ाखेड़ा में आजादी बाद पशुओं के लिए दान में दी गई थी भूमि। लबान बूंदी रियायत में बड़े ओहदे का ठिकाना होने से बड़ाखेड़ा कस्बे की पहचान पुरानी है। ठिकानेदार कर्णसिंह हाड़ा ने देश आजाद होते ही जागीरदारी की जमीन में से 2700 बीघा जमीन चारागाह के नाम कर दी, लेकिन धीरे-धीरे चारागाह भूमि अतिक्रमण की चपेट में आने लगी। चारागाह भूमि पर अतिक्रमण होते देख ग्राम पंचायत ने मनरेगा के अन्तर्गत पौधरोपण अभियान चलाकर विलायती बंबूलों के जंगल को कटवाकर साफ-सफाई करके पौधे रोपे, ताकि हरियाली बनी रहे। अब चारागाह भूमि पर अवैध कब्जे कर खुर्द-बुर्द करने व उजाड़ने की शिकायते आ रही है।
ग्राम पंचायत के सरपंच प्रदीपसिंह हाड़ा ने पर्यावरण संरक्षण को लेकर चारागाह में पौधरोपण शुरू कराया, जिसके चलते कुछ पौधों ने पेड़ का आकार लेना शुरू कर दिया है। पौधों की सुरक्षा के लिए चारागाह भूमि के चारों ओर खाई खुदाई गई है, ताकि आगे अतिक्रमण नहीं हो सके। इसको लेकर ग्रामीणो का कहना है कि अगर चारागाह भूमि पूरी तरह अतिक्रमण से मुक्त हो जाए तो मवेशियों के लिए चारा पानी की सुविधा मिल जाएगी।
ग्रामीण विनोद रायका और मुकेश राईका ने बताया कि सड़क पर आवारा मवेशियों का जमघट लगा रहता है, जिसके चलते वाहन चलाने-पैदल निकलने में परेशान होती है, आए दिन दुपहिया सवार चोटिल हो रहे हैं। पशुओं के लिए चारागाह भूमि में सुविधा उपलब्ध होनी चाहिए। हमारे लिए यह गर्व करने वाली बात है कि हमारे पूर्वजों ने पशुपालकों के हित में इतना बड़ा फैसला लिया था। इस फैसले की सुरक्षा करना हम सबकी जिम्मेदारी है। -चन्द्र विजयसिंह हाड़ा, पूर्व राजपरिवार सदस्य, बड़ाखेड़ा।
मूल ऑनलाइन लेख - https://www.bhaskar.com/local/rajasthan/bundi/news/2700-bigha-pasture-land-is-waiting-for-liberation-133518306.html
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