जमवारामगढ़ उपखंड में 30 हजार बीघा चरागाह पर कब्जा, ग्रामीणों में आक्रोश
भास्कर न्यूज। रूपवास जिम्मेदारों की उदासीनता के चलते गोवंशों के लिए आरक्षित चरागाह क्षेत्र का दायरा अतिक्रमण के चलते लगातार घटता जा रहा हैं। जयपुर ग्रामीण जिले के उपखंड क्षेत्र जमवारामगढ़ की बात करें तो यहां करीब 30 हजार बीघा चरागाह भूमि में अतिक्रमण की बाड़ाबंदी हो गई। शिकायत के बावजूद जिम्मेदार प्रशासन ने कार्रवाई नहीं की। ऐसे में पेट की आग बुझाने के लिए गोवंश इधर-उधर भटकते है और मृत जानवर तक खाने को मजबूर हैं।
ग्रामीणों ने बताया कि 15 फरवरी 2024 को उपखंड अधिकारी जमवारामगढ़ के समक्ष चरागाह में अतिक्रमण की शिकायत की गई। उपखंड अधिकारी ने जिला स्तरीय जनसुनवाई में दर्ज कर आंधी व जमवारामगढ़ तहसीलदार को चरागाह से अतिक्रमण पर कार्रवाई कर जांच रिपोर्ट के निर्देश दिए थे। लेकिन शिकायत कागजों में दफन होकर रह गई। धरातल पर जिम्मेदार प्रशासन की कार्रवाई का असर नहीं दिखा। ग्रामीणों ने उपखंड अधिकारी से चरागाह भूमि को अतिक्रमण मुक्त करवाने की कार्रवाई करने की मांग की हैं। जमवारामगढ़ तहसील में 3800 हेक्टेयर भूमि में से अधिकांश भूमि चरागाह है, जो विभिन्न गांवों में आरक्षित है। इसी प्रकार तहसील आंधी के विभिन्न ग्रामों में 3380 हैक्टेयर भूमि से भी अधिक भूमि चारागाह में आरक्षित है। विगत कई वर्षों से चारागाह भूमिका राज्य सरकार एवं तहसीलदार की ओर से कोई विशेष पुख्ता प्रबंध एवं देखभाल नहीं होने के कारण चरागाह भूमियों पर ग्रामीणों ने एवं भूमाफिया लोगों द्वारा अतिक्रमण कर काश्त की जा रही हैं।
कई जगह लोगों ने बाड़े व पक्के निर्माण कर चार दीवारी या मकान बना लिए हैं। चरागाह में अतिक्रमण के चलते अब गैर-पालतू गोवंश को चरने के लिए जगह नहीं बची। ऐसे में सड़कों पर या शहर कस्बे की गलियों में भटकने को मजबूर है। कई बार गोवंश की वजह से सड़क हादसे भी हो जाते है। चारा नहीं मिलने की वजह से भूख के मारे गोवंश पॉलिथीन, कचरा, डिस्पोजल गिलास, कागज खाते है। जिसके चलते गोवंश अकाल मौत के ग्रास भी बन रहे हैं।
मूल ऑनलाइन लेख - https://www.bhaskar.com/local/rajasthan/bharatpur/rupbas/news/even-after-four-months-of-sdms-order-action-is-confined-to-files-villagers-are-angry-133182666.html
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