मांगरोल। कस्बेसहित ग्रामीण क्षेत्र में मवेशियों के चरने के लिए आरक्षित चारागाह भूमि पर आधी से अधिक भूमि पर दबंगों ने कब्जा कर लिया है। इसके चलते मवेशी चरने के बजाय मुख्य मार्गों पर आवागमन को बाधित कर रहे हैं। वहीं प्रशासनिक अमला भी इससे अनजान बनकर कार्रवाई नहीं कर रहा है।
यह है चारागाह भूमि और सिवायचक भूमि: तहसीलक्षेत्र में 1506 हैक्टेयर भूमि चारागाह के नाम से आवंटित है। वहीं 5578 हैक्टेयर भूमि पर सिवायचक है। इसमें कृषि योग्य बिना नाम की सरकारी भूमि 2289 हैक्टेयर और अकृषि भूमि 3289 हैक्टेयर है। लगभग एक हजार से अधिक किसानों द्वारा 1500 हैक्टेयर भूमि पर अतिक्रमण कर रखा है। मऊ पंचायत मे 58 हैक्टेयर, मालबमोरी में 48, जारेला 70, बमोरीकलां में 75, जलोदा तेजाजी में 60, भटवाड़ा में 76, महुआ में 63, बोहत में 147, हिगोंनिया में 107, किशनपुरा में 262, तिसाया में 59, सोनवां में 37, रायथल में 69, छत्रपुरा में 35, शाहपुरा में 25, उदपूरिया में 67 और मांगरोल में 52 हैक्टेयर भूमि मवेशियों के चरने के लिए राजस्व मंडल की ओर से आरक्षित कर रखी है। इसमें से 90 फीसदी भूमि अतिक्रमण की गिरफ्त में है।
सड़कों पर विचरण करते हैं मवेशी, होती है दुर्घटना: चरागाहभूमि पर कब्जा कर फसलें करने से मवेशियों के सामने चरने का संकट उत्पन्न हो रहा है। मजबूरी में मवेशी सड़कों पर भटक रहे हैं। इसके कारण आए दिन दुर्घटनाएं होती रहती हैं। चारागाह और सिवायचक भूमि पर कब्जा कर काश्त करने के मामले में राजस्व विभाग की ओर से नाममात्र का जुर्माना कर जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लिया जाता है। अतिक्रमण करने वाले किसान भी फायदे को देखते हुए नाममात्र का जुर्माना जमा कर सरकारी भूमि पर लाखों रुपए का मुनाफा कमा रहे हैं। इससे सरकार को राजस्व की हानि हो रही है। इस मामले में एसडीओ एचआर मेहरा का कहना है कि चरागाह और सिवायचक भूमि पर अतिक्रमण हटाने के लिए सभी पटवारियों से रिपोर्ट लेकर कार्रवाई की जाएगी।
मांगरोल। कस्बे की बाणगंगा नदी की पुलिया पर विचरण करते मवेशी।
मूल ऑनलाइन लेख - https://www.bhaskar.com/news/raj-oth-mat-latest-mangrol-news-055505-2151439-nor.html
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