शहर को पर्याप्त पानी नहीं मिलने से पेयजल संकट, जल संग्रहण योजना बने तो मिले राहत, मुंडली-रणजीतपुरा वनक्षेत्र में बने मिनी बांध
धर्मेंद्रसिंह शेखावत। किशनगढ़-रेनवाल शहर में 3 वर्ष से बीसलपुर योजना से पर्याप्त पानी नहीं मिलने से पेयजल संकट रहता है। गर्मियों में समस्या गंभीर हो जाती है। ऐसे में शहर में पीने के पानी की स्थाई व्यवस्था के लिए बड़ा प्लान बनाने की जरूरत होने लगी है। अगर शहर से लगती मुंडली-रणजीतपुरा पंचायत की करीब 450 चारागाह बीघा जमीन पर मिनी बांध बनाया जाए तो शहर सहित आसपास के गांवों की पेयजल समस्या स्थाई रूप से हल हो सकती है। उक्त चारागाह भूमि पर वन विभाग ने करीब 30 हजार पेड़ लगा रखे हैं, जहां पानी का संग्रहण आसानी से हो सकता है। बारिश के मौसम से शहर का करोड़ों लीटर पानी यूं ही व्यर्थ बह कर इसी चारागाह भूमि से होता हुआ आगे चला जाता है।
1 वर्ष में बह गया 1400 करोड़ लीटर पानी
शहर में वर्ष 2022 में कुल 719 एमएम बारिश हुई। शहर पांच किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है। ऐसे में शहर का करीब 1400 करोड़ लीटर मीठा पानी व्यर्थ बह गया है। हर साल इस व्यर्थ बह रहे पानी को सहेजा जाए तो शहर में पेयजल संकट काफी हद तक दूर हो सकता है। शहर में वर्तमान में बीसलपुर परियोजना से औसतन 15 लाख लीटर पानी मिल रहा है, यानी कि वर्षभर में 5475 लाख लीटर पानी मिलता है, जिससे व्यर्थ बह रहा पानी कहीं अधिक है। नगरपालिका की पेराफेरी में मुंडली-रणजीतपुरा पंचायत की उक्त चारागाह भूमि आती है। यहां वन विभाग ने करीब 30 हजार पेड़ बड़े होने के बाद अब वापस चरागाह पंचायत को सुपुर्द कर दिया है। वन विभाग ने भी पेड़ों को बारिश का पानी मिलता रहे, इसके लिए खुदाई व कई जगह पाल बनाई थी। अगर यहां पानी का संग्रहण कर मिनी बांध बनाया जाए तो शहर के साथ मुंडली-रणजीतपुरा पंचायत के लोगों को भी काफी फायदा मिलेगा। वर्षभर पानी भरा रहने से कुओं को जलस्तर भी बढ़ेगा और हरियाली भी।
शहर में वर्ष 2022 में कुल 719 एमएम बारिश हुई। शहर पांच किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है। ऐसे में शहर का करीब 1400 करोड़ लीटर मीठा पानी व्यर्थ बह गया है। हर साल इस व्यर्थ बह रहे पानी को सहेजा जाए तो शहर में पेयजल संकट काफी हद तक दूर हो सकता है। शहर में वर्तमान में बीसलपुर परियोजना से औसतन 15 लाख लीटर पानी मिल रहा है, यानी कि वर्षभर में 5475 लाख लीटर पानी मिलता है, जिससे व्यर्थ बह रहा पानी कहीं अधिक है। नगरपालिका की पेराफेरी में मुंडली-रणजीतपुरा पंचायत की उक्त चारागाह भूमि आती है। यहां वन विभाग ने करीब 30 हजार पेड़ बड़े होने के बाद अब वापस चरागाह पंचायत को सुपुर्द कर दिया है। वन विभाग ने भी पेड़ों को बारिश का पानी मिलता रहे, इसके लिए खुदाई व कई जगह पाल बनाई थी। अगर यहां पानी का संग्रहण कर मिनी बांध बनाया जाए तो शहर के साथ मुंडली-रणजीतपुरा पंचायत के लोगों को भी काफी फायदा मिलेगा। वर्षभर पानी भरा रहने से कुओं को जलस्तर भी बढ़ेगा और हरियाली भी।
योजना बनाकर करेंगे प्रयास
बारिश के दिनों में शहर के व्यर्थ बह रहे पानी के स्टोरेज के लिए प्लान बनाया जाएगा। इसके लिए विभाग व बोर्ड बैठक में राय मशविरा कर आगे की योजना बनाई जाएगी।
अमित ओसवाल, अध्यक्ष, नगरपालिका
बारिश के दिनों में शहर के व्यर्थ बह रहे पानी के स्टोरेज के लिए प्लान बनाया जाएगा। इसके लिए विभाग व बोर्ड बैठक में राय मशविरा कर आगे की योजना बनाई जाएगी।
अमित ओसवाल, अध्यक्ष, नगरपालिका
मूल ऑनलाइन लेख - https://www.bhaskar.com/local/rajasthan/jaipur/chomu/news/even-the-bisalpur-scheme-is-unable-to-quench-the-citys-thirst-1400-crore-liters-of-sweet-water-flowed-away-in-a-year-130931751.html
No comments:
Post a Comment