सोलर प्लांट भूमि आवंटन को लेकर ग्रामीणों ने प्रतिबंध लगाने के लिए दिया ज्ञापन
जैसलमेर
Published: September 30, 2022
जैसलमेर. ओरण गोचर संघर्ष समिति की ओर से जिला कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा गया। ज्ञापन में बताया कि पर्यावरण वन्य जीव, ओरण, जलस्रोत, राज्य वृक्ष खेजड़ी, सडक़ों कसे उजाड़वा जा सकता है। यहां सेऊवा, बडा, तेजपाला, नगा, हाड़ा सोलर प्लाट के लिए 40 बीघा आवंटन करने के प्रस्तावित की जा रही है जो 3000 मेगावाट प्लाट किया जा रहा लोक देवता वीर पनराजजी, सिद्ध राव जुंझार मायथि, ओरण 700 साल से संरक्षण में है, दर्ज नहीं की गई। जो पंचायत से ओरण प्रस्तावित है। यहां पशुपालकों, चारागाह भूमि भूमि आवंटन की जा रही है। ग्रामीणों ने मांग की कि प्रशासन संज्ञान लेवे और आमजन जनहित में ध्यान रखते कार्यवाही की जाए। ज्ञापन में ग्राम पंचायत राघवा सरपंच नरेंद्रसिंह, पर्यावरण प्रेमी लीलूसिंह बड़ा, तगसिंह, फकीर सिंह सेऊवा, सामाजिक कार्यकर्ता नरपतसिंह बडा, गोरधनसिंह, दीपसिंह, विक्रमसिंह, हीरसिंह, भीमसिंह, जितेंद्रसिंह, मूलसिंह, हरीराम, सेऊवा आदि उपस्थित थे।
सोलर प्लांट भूमि आवंटन को लेकर ग्रामीणों ने प्रतिबंध लगाने के लिए दिया ज्ञापन |
60 किलोमीटर लंबी पैदल परिक्रमा का समापन
जैसलमेर. जिले की फतेहगढ़ तहसील के रासला- सांवता गांवों के बीच मौजूद मुख्य शक्तिपीठ श्रीदेगराय मंदिर की 600 वर्षो से ज्यादा प्राचीन ओरण की 60 किमी लम्बी पैदल परिक्रमा का शुक्रवार दोपहर को मन्दिर प्रांगण पहुंचने पर समापन हुआ। परिक्रमा में क्षेत्र के अनेक गांवों व राजस्थान के अन्य जिलों से आए पर्यावरण प्रेमियों व देवी भक्तों ने भी हिस्सा लिया। क्षेत्र के पर्यावरण संरक्षक व पशुपालक सुमेरसिंह भाटी ने बताया कि दो वर्ष पहले प्रारम्भ हुई परिक्रमा से आसपास के ग्रामीणों को ओरण के महत्व व उसके संरक्षण के महत्व के साथ भारतीय संस्कृति में पर्यावरण के दैवीय रूप से सबको जागरूक करना है। मंदिर ट्रस्ट अध्यक्ष ठाकुर कल्याणसिंह भाटी मूलाणा की इच्छा थी कि एक बार परिक्रमा प्रारम्भ होने पर प्रति वर्ष होती रहे, अत: नवरात्रि में इसका आयोजन करा गया, जिसमें शुक्रवार को परिक्रमा मार्ग में स्थित उनके घर पहुंचकर उन्हें श्रद्धांजलि दी गई। विदित है कि गत बीस वर्षो से अधिक समय से मन्दिर ट्रस्ट अध्यक्ष रहते आपने देगराय ओरण का कुछ भाग वर्ष 2004 में ओरण रूप से दर्ज करवाने में सफलता प्राप्त करी थी, शेष बचे हिस्से को दर्ज करवने के लिए भी आप लम्बे समय से प्रयासरत थे। परिक्रमा में विभिन्न पर्यावरण, पशुपालन, चारागाह विकास व जैविक खेती से जुड़े अनुभवी वैज्ञानिकों व कार्यकर्ताओं ने श्रद्धालुओं को ओरणों के महत्व और उनसे लाभ के बारे में जानकारी दी। ओरणों के चारों तरफ मौजूद ढाणियों के किसानों व पशुपालकों ने भी परिक्रमा में जल व नाश्ते की सम्पूर्ण व्यवस्था रख श्रद्धालुओं व पर्यावरण प्रेमियों की यात्रा को सुखद बनाया। दो दिन की परिक्रमा में पर्यावरण प्रेमियों ने ओरण क्षेत्र में 100 से ज्यादा पक्षी प्रजातियों को देखा गया और उनका रिकॉर्ड भी तैयार करा गया।
https://www.patrika.com/jaisalmer-news/villagers-gave-memorandum-to-ban-solar-plant-land-allocation-7797923/
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