Saturday 19 February 2022

600 गायों के चारे के लिए पहल:गांव वालों ने 51 ट्रेक्टरों से जोत दी 150 बीघा गोचर जमीन, सिंचाई कर चारा उगाएंगे

नागौर

नागौर जिले के जालसू नानक गांव में गोशाला के बेसहारा गोवंश के लिए ग्रामीणों की अनोखी पहल सामने आई। यहां 600 गायों के साल भर के चारे के इंतजाम के लिए शनिवार को पूरा गांव जुट गया। गांव के बाहर गोचर जमीन पर ग्रामीण अपने-अपने ट्रेक्टर लेकर पहुंचे और 51 ट्रेक्टरों से 150 बीघा गोचर जमीन पर जुताई शुरू कर दी।

गांव के सरपंच कैलाश माहिया ने कहा कि जमीन जोतने के बाद ट्यूबवेल से सिंचाई कर इस जमीन पर चारे के लिए बाजरा रिजका उगाया जाएगा। ताकि साल भर बेसहारा गोवंश को चारा उपलब्ध हो सके।

एक साथ चले 50 से ज्यादा ट्रेक्टर
शनिवार को दोपहर करीब 12 बजे ग्रामीण अपने-अपने ट्रेक्टरों से जमीन की जुताई करने पहुंच गए। बंजर जमीन को समतल कर उन्होंने बाजरा रिजका घास की बुवाई के लायक बना दिया। अगले कुछ दिन में यहां बुवाई कर दी जाएगी। इसके बाद ट्यूबवेल से सिंचाई की जायेगी। इस तरह गोचर की 150 बीघा भूमि पर चारा उगना शुरू हो जाएगा। ग्रामीणों का कहना है कि इससे गायों के लिए चारे का हमेशा के लिए समाधान हो जाएगा। इस नेक काम में श्रमदान करने के लिए दूसरे गांवों से भी लोग यहां पहुंचे।

गोवंश की सेवा के लिए जाना जाता है नागौर।
गोवंश की सेवा के लिए जाना जाता है नागौर।

5 लाख की लागत से तारबंदी कर चारागाह बनाएंगे
सरपंच कैलाश माहिया आने बताया कि गोशाला में अमावस्या को होने वाली बैठक में सामूहिक फैसला लिया था कि बेसहारा गायों के लिए ग्रामीण मिलजुल कर चारा उगाएंगे। उसी के अनुसार सभी अपने-अपने ट्रेक्टर लेकर पहुंचे। यहां 51 ट्रेक्टरों से जुताई की गई है। अब आगामी दिनों में सामूहिक रुप से चंदा जुटाकर ग्रामीण इस गोचर जमीन की 5 लाख की लागत से तारबंदी भी कराएंगे। ताकि कोई भी इस जमीन पर अतिक्रमण न कर पाए।

मारवाड़ की रवायत
नागौरी गोवंश विश्वभर में प्रसिद्ध है। इसके पीछे सामाजिक ताना-बाना, मान्यताएं और रवायतें हैं। मारवाड़ में हर गांव में गोवंश के लिए जमीन छोड़ी जाती है। इस जमीन पर पूरा गांव श्रमदान कर गायों के लिए चारा उगाता है। जोधपुर दरबार के समय से यह परंपरा चली आ रही है। रेवेन्यू रिकॉर्ड में यह जमीन गोचर ही दर्ज होती है। अमावस्या के दिन गोशाला में गांव की मीटिंग होती है। गोसेवक इस इस मीटिंग में शामिल होते हैं और गायों की सेवा में नए काम के सुझाव का आदान-प्रदान होता है। इसके बाद काम तय होने के बाद पूरा गांव श्रमदान में जुट जाता है। चारे की कटाई के समय भी पूरा गांव उत्सव की तरह श्रमदान में जुटता है। गांव के डीजे खेतों तक पहुंचाए जाते हैं। महिलाएं बच्चे बूढे़ सभी गायों के लिए चारा काटते हैं। गीत संगीत पर नाचते थिरकते गोसेवा में पूरा गांव जुटता है।

चारागाह में श्रमदान के लिए पूरा गांव जुटा।
चारागाह में श्रमदान के लिए पूरा गांव जुटा।

इन्होंने किया सहयोग
सरपंच कैलाश महिया की अध्यक्षता में ग्रामीण अंकित, शेखर, भूराराम, शिवराम, लिखमाराम, शिवराम, चतराराम, भंवराराम, हनुमानराम, नाथूराम, प्रभुराम महिया, जगदीश, पीराराम ,राजूराम, जीयाराम, पप्पूराम, रामसुख भादू, रविन्द्र भादू, रिछपाल, भंवराराम भादू, जस्साराम, शेखर भादू, राजू, सेवाराम, नैनाराम, अणदाराम, संजय कुमार, छोटूराम, मुन्नाराम, मुकेश, रिछपाल, शिवपाल, सुरेश, महेंद्र फौजी, कमल मेहरा, सांवता राम व बुद्धराम सहित गांव के हर घर से कोई न कोई श्रमदान के लिए मौजूद रहा।

https://www.bhaskar.com/local/rajasthan/nagaur/news/villagers-plowed-150-bighas-of-land-with-51-tractors-would-irrigate-and-grow-fodder-129418313.html

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