Sunday 31 January 2021

आरटीआई में खुलासा:सार्वजनिक जमीनों पर अतिक्रमण की शिकायत के लिए बनी पीएलपीसी सेल कागजों में सिमटी

अजमेर


प्रदेश के 33 जिलाें में से एक में भी शिकायत दर्ज नहीं हुई

सार्वजनिक भूमि सहित नदी, नाले, तालाब और जाेहड़ की जमीनाें पर अतिक्रमण के मामलाें काे लेकर हाईकाेर्ट में आए दिन बड़ी संख्या में जनहित याचिकाएं दायर हाेती हैं। पिछले साल ऐसी ही एक याचिका का निपटारा करते हुए राजस्थान हाईकाेर्ट की खंडपीठ ने स्थानीय स्तर पर ही ऐसी शिकायताें काे समाधान करने के लिए सभी जिलाें में पब्लिक लैंड प्राेटेक्शन सेल का गठन करने के आदेश दिए थे।

हाईकाेर्ट के आदेश से हनुमानगढ़ काे छाेड़कर 32 जिलाें में सेल ताे गठित हाे गए लेकिन आमजन काे इसकी जानकारी ही नहीं है इसलिए अब तक एक भी शिकायत इन सेल में नहीं आई है। आरटीआई के तहत यह खुलासा हुआ है कि पीएलपीसी केवल कागजाें तक सिमट कर रह गई है।

पीएलपीसी काे लेकर बांसवाड़ा के आरटीआई एक्टिविस्ट और राजस्थान जनजाति संगठन के अध्यक्ष गाेपीराम अग्रवाल ने सभी जिलाें में आरटीआई के तहत अर्जी दायर कर जानकारी एकत्रित की है। इसी क्रम में अग्रवाल ने अजमेर के कलेक्टर कार्यालय से भी सूचना मांगी थी।

अग्रवाल काे जारी सूचना में बताया गया कि राज्य सरकार के परिपत्र 5 नवंबर 2019 की पालना में 14 नवंबर 2019 काे पीएलपीसी का गठन कर लिया गया है। लेकिन इस सेल में काेई आवेदन पंजीकृत नहीं है। इसी तरह अग्रवाल ने सभी जिलाें से जाे जानकारी हासिल की है उसके अनुसार हनुमानगढ़ में सेल गठित नहीं हाेने की जानकारी मिली है जबकि बाकी जिलाें में सेल ताे है लेकिन वहां अब तक काेई शिकायत व आवेदन पंजीकृत नहीं हुए हैं।

खंडपीठ का यह था आदेश
सार्वजनिक भूमियों पर अतिक्रमण से जुड़े मामलाें के निस्तारण काे लेकर राजस्थान हाईकाेर्ट की खंडपीठ ने 30 जनवरी 2019 काे अहम आदेश जारी किया था। जगदीश प्रसाद मीणा व अन्य बनाम स्टेट ऑफ राजस्थान की जनहित याचिका में चारागाह, जोहड़, तालाब, नदी कैचमेंट, सार्वजनिक रास्तों, श्मशान-कब्रिस्तान आदि की जमीनों पर अतिक्रमण रोकने का मुद्दा उठाया गया था।

खंडपीठ ने माना कि ऐसे मामले बहुतायत में हाेते हैं और राज्य सरकार काे ऐसा मैकेनिज्म तैयार करना चाहिए जिससे स्थानीय स्तर पर ही ऐसे मामलाें की पूरी तरह जांच हाेकर उचित कार्रवाई की जाए। इसके लिए हर जिले में जिला कलेक्टर की निगरानी एवं अध्यक्षता में एक पब्लिक लैंड प्रोटेक्शन सेल (पीएलपीसी) के गठन का निर्देश दिया था। आदेश में यह भी कहा गया था कि इस सेल काे लेकर जिला प्रशासन समय समय पर आमजन काे जानकारी देंगे जिसमें बताया जाएगा कि सार्वजनिक भूमि पर अतिक्रमण की शिकायत पीएलपीसी में दी जा सकती है।

इस सेल में प्राप्त शिकायतों की जांच राजस्व अधिकारी/उपखंड अधिकारी/तहसीलदार/नायब तहसीलदार करेंगे और शिकायत सही पाए जाने पर स्पीकिंग ऑर्डर से ऐसे अतिक्रमण को तुरंत हटाने की कार्रवाई की जाएगी और इसकी जानकारी शिकायतकर्ता काे देंगे। इस प्रक्रिया का उद्देश्य इस तरह के समान मामलों की हाईकोर्ट में बढ़ रहे मामलाें काे राेकना है ताकि आमजन काे बेवजह अदालती प्रक्रिया से नहीं गुजरना पड़े ओर स्थानीय स्तर पर ही राहत मिल जाए।

बेवजह पेश करनी पड़ रही हैं जनहित याचिकाएं
मैंने पीएलपीसी काे लेकर सभी जिलाें में आरटीआई के तहत जानकारी मांगी थी। जाे सूचना मिली उसके अनुसार 32 जिलाें मे सेल ताे गठित हाे गए हैं लेकिन एक भी मामला व शिकायत अब तक पंजीकृत नहीं हुई है। खास बात यह है कि हाईकाेर्ट के आदेश के बाद भी सार्वजनिक जमीनाें पर अतिक्रमण काे लेकर करीब 15 जनहित याचिकाएं पेश हुई और उनमें यही तय हुआ कि प्रकरण पहले पीएलपीसी में ले जाएं। इस तरह आमजन काे काेर्ट की खर्चीली और लंबी कार्रवाई से बचाने के लिए पीएलपीसी बनी है उनकी आमजन काे जानकारी दी जानी चाहिए। - गाेपीराम अग्रवाल, आरटीआई एक्टिविस्ट

https://www.bhaskar.com/local/rajasthan/ajmer/news/plpc-cell-made-for-complaints-of-encroachment-on-public-lands-confined-in-papers-127788888.html